भारत भूमि संतों की महान भूमि रही है। इसमें ऐसे कई संतों, ऋषियों और गुरुओं का जन्म हुआ है जिन्होंने अपनासम्पूर्ण जीवन दूसरों के भक्ति तथा मोक्ष का मार्ग दिखाने में समर्पित किया है। ऐसे ही महान गुरुओं में एक नाम है श्रीश्री 108 महन्त श्री नरेन्द्र जी महाराज, श्री बिहारी जी मन्दिर, नारियल वाले हनुमान जी मंदिर के प्रमुख महन्त है। महाराजश्री का जन्म 2 मई 1956 को हुआ। महाराज श्री ने अपनी पूर्ण जीवन को मानवता की सेवा के लिए समर्पित की है। महाराज श्री ने एम.कॉम तक शिक्षा ग्रहण की है।
महाराज श्री के दो सुपुत्र प्रवीण महाराज एवं सचिन महाराज हुए। महाराज श्री का नेतृत्व असाधारण है, जिससे हर व्यक्ति प्रभावित होता है। महाराज श्री की दूरदर्शिता और ज्ञान से मन्दिरएक धार्मिक स्थल नहीं रहा बल्कि एक ऐसा स्थान बन गया है जहाँ भक्त आस्था के साथ-साथ जीवन के कठिन सवालों के जवाब भी पाते हैं। महन्त श्री सेडूराम जी द्वारा स्थापित इस पवित्र स्थान को महन्त श्री श्री 108 श्री नरेन्द्र जी महाराज के कठिन तप एवंसेवा भाव से आज और भी विख्यात कर दिया है। महाराज श्री द्वारा नर सेवा-नारायण सेवा भावना को सार्थक कर दिखाया। जिससे मन्दिर में प्रतिदिन सैंकड़ों दर्शनार्थी दर्शनार्थ आते हैं। भक्त यहाँ आकर मानसिक एवं आध्यात्मिकशान्ति प्राप्त करते हैं।
महाराज श्री के छोटे भ्राता श्री संतोष जी बगरेठ मन्दिर की व्यवस्था में पूर्णरूप से सहयोग करते आ रहे है। और इनके भी दो सुपुत्र हैं।
श्री श्री 108 महन्त श्री नरेन्द्र जी महाराज की ख्याति केवल भारत तक ही सीमित नहीं है अपितु उनके आध्यात्मिकविचार और सन्देश दुनिया भर के भक्तों को प्रेरित कर रहे हैं। जापान में एक शिष्या ने अपनी भाषा में महाराज श्री के बारे में किताब में लिखा जो उनके अन्तराष्ट्रीय प्रतिष्ठा का प्रमाण है। उनके उपदेश और साधना से लोग न केवल आध्यात्मिक रूप से समृद्ध होते हैं बल्कि पारिवारिक और व्यावसायिक जीवन में भी सफलता पाते हैं।
श्री श्री 108 महन्त श्री नरेन्द्र जी महाराज के द्वारा मन्दिर परिसर में स्थित भगवान शिव को सन् 2004 में रजत अर्पितकरवाई जिससे अब भगवान शिव रजतेश्वर महादेव के नाम से जाने जाते हैं। प्रतिवर्ष 3 दिवसीय 19-20-21 जून कोश्री रजतेश्वर महादेव का पाटोत्सव बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।
श्री श्री 108 महन्त श्री नरेन्द्र जी महाराज के सानिध्य में मन्दिर परिसर में प्रतिवर्ष चैत्र नवरात्रा एवं आश्विन नवरात्रों मेंनवदिवसीय अखण्ड रामायण पाठ हवन एवं भण्डारे का आयोजन विगत वर्षों से निरन्तर चलता आ रहे है। श्री गणेशमहायज्ञ लक्ष्मीनारायण महायज्ञ जिसमें श्री लक्ष्मीनारायण जी की प्रतिमा नगर भ्रमण कर स्थापित की गई। श्री रजतेश्वरमहादेव के प्रतिवर्ष सावन माह में गलता धाम से मन्दिर तक असंख्य भक्तों द्वारा कावड़ लाकर जलाभिषेक किया जाता है तत्पश्चात् प्रसादी का आयोजन होता है। महाराज श्री द्वारा अन्य स्थानों पर धार्मिक अनुष्ठान यज्ञ भण्डारें समय-समय पर होते रहते हैं। मन्दिर परिसर में अनेक धार्मिक संस्थाएँ भजनामृत संध्याओं का आयोजन करती रहती है।
श्री श्री 108 महन्त श्री नरेन्द्र जी महाराज के द्वारा अखण्ड नवदिवसीय रुद्र महायज्ञ किया गया। जिसमें नौ दिनों तक दिन-रात 24 घण्टे यज्ञ निरन्तर चलता रहा। रुद्रअभिषेक में भगवान शिव सम्पूर्ण जलमग्न रहते थे। इस रुद्र महायज्ञ 51 ब्राह्मणों द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ हर 2 घण्टे में यजमान बदल कर यज्ञ आहूति देते थे। इस रुद्र महायज्ञ के दर्शन हेतु पूरे भारतवर्ष से असंख्य साधु-सन्त-महन्तों के साथ भक्तगणों का तांता लगा रहता था।
श्री श्री 108 महन्त श्री नरेन्द्र जी महाराज के सानिध्य में प्रतिवर्ष एक महत्वपूर्ण आयोजन होता है। सम्पूर्ण भागवत महायज्ञ, इस यज्ञ में सम्पूर्ण भागवत के 18000 श्लोकों द्वारा महायज्ञ सम्पूर्ण किया। यह आयोजन आत्मिक संवाद के लिए महाकुंभ के समान माना जाता है तथा समय-समय पर भागवत में भगवान के आत्मारूपी दसवें स्कन्ध का जनकल्याण हेतु यज्ञ होता रहता है।
क्या आपने कभी सोचा है कि एक यज्ञ से वर्षा की कमी को कैसे दूर किया जा सकता है? राजस्थान में एक समय था,जब अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी और वर्षा की अत्यधिक आवश्यकता उत्पन्न हो गई थी। तब श्री श्री 108, महन्त श्री नरेन्द्र जी महाराज ने एक अद्वितीय प्रयास किया और वर्षा के लिए विशेष 11 दिवसीय प्र्जन्य महारुद्र यज्ञ, का आयोजन किया। इस यज्ञ के दौरान 11 दिनों तक लगातार हवन किया गया। इस यज का प्रभाव अद्भुत था। जैसे,ही यज्ञ पूर्ण हुआ, दमदार वर्षा हुई और राजस्थान में जल संकट की स्थिति में सुधार होने लगा। जो किसानों और ग्रामीणों, के लिए एक वरदान साबित हुआ। इसी प्रकार समय-समय पर प्र्जन्य महायज्ञ कई बार आयोजित किये गये।
लम्पी रोग का प्रकोप जो गायों पर महामारी आई थी, जो गायों में त्वचा से जुड़ी एक गंभीर समस्या है, सभी लोगों के, लिए यह एक बड़ी समस्या थी, जीव गौ माता की अकाल मृत्यु इस कद्र से हो रही थी कि हर प्राणी की रूह कांप उठती थी। इस संकट में श्री श्री 108 महन्त श्री नरेन्द्र जी महाराज ने अखबारों में इस महामारी से गायों की अकाल मृत्यु देखी, तो उनका हृदय कम्पित हो गया। महाराज श्री ने जब तक इस महामारी का प्रकोप ठीक नहीं हो जाता है तब तक के लिए, वस्त्रों का त्याग कर केवल भगवा पहनने का प्रण लिया। मंदिर में एक विशेष हवन का आयोजन हुआ, जिससे एक, कठित तप यज्ञ रूप में प्रकाण्ड विद्वानों द्वारा श्राद्धपक्ष में समय नहीं होने बावजूद आयोजित कर गीता जी, भागवत के, दसवें स्कन्ध एवं रुद्रपाठ का हवन तथा ईश्वरीय पितृ, तर्पण, भूलोक पितृ तर्पण नियमानुसार प्रतिदिन करने से इस रोग, का निवारण हो गया। यह साक्षात रूप से परिदर्शित हो गया। जीव हत्या पर पूर्ण ईश्वरीय नियंत्रण हो गया।
श्री नृसिंह लीला महोत्सव,अति प्राचीन समय से श्री बिहारी जी का मन्दिर (श्री नारियल वाले हनुमान जी) में प्रतिवर्ष नृसिंह चतुर्दशी के उपलक्ष्य, में नृसिंह लीला एवं वराह लीला का भव्य आयोजन होता आ रहा है एवं महाराजश्री द्वारा नृसिंह चतुर्दशी पर श्री नृसिंह, महायज्ञ का भी आयोजन किया जाता है। जो वर्तमान समय में भी निरन्तर चल रहा है।
जयपुर,श्री श्री 108 महन्त श्री नरेन्द्र जी महाराज द्वारा इस आश्रम की स्थापना सन् 2015 में की गई थी। आश्रम में श्री मंशापूर्ण,हनुमान जी महाराज की विशाल प्रतिमा स्थापित की गई। श्री हनुमान जी महाराज की मूर्ति के दर्शन से भक्त भावविभोर, हो जाते हैं। स्थापना के समय से अखण्ड धूना चल रहा है। आश्रम आश्रम में यज्ञ अनुष्ठान, धार्मिक कार्यक्रम, भागवत, कथाओं, विशाल भंडारों का आयोजन समय-समय पर होता रहता है। आश्रम को युवाचार्य श्री प्रवीण जी महाराज और श्री सचिन जी महाराज,कुशलता पूर्वक संचालित कर रहे हैं।
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